Wednesday 18 July, 2007

उसकी याद में

पल पल कट रहा है,
ऎक जमाने की तरह,
सोचने पर उसके बारे में आखें फूट पङती है,
नदियों की तरह।

आखिर क्यूं बसाऍ उन्होंने हमारी आखों में सपने,
जब उन्होंने समझा ही नहीं अपना।
हमने पूछा भी था,
कि इन सपनों की कोई तो वजह होगी,
तब उन्होंनें कहा ,
कि आपकी जिंदगी में इन सबकी जगह होगी।

हम तो अपने वादों पर टिके रहे ,
वो भी हमें दिलासे देते रहे।
हमने तो सोच लिया था ,
उनके साथ है जीना।
पर क्या पता था ,
जिसे हमने चाहा वही है बैगाना।

Wednesday 11 July, 2007

क्या करुं

दिन रात मै सोचा करता हू,
ऍक खवाब सा देखा करता हूं,
जानता हू वो बस मे नही है।
फिर भी उसे पूजा करता हूं,
ऍक घुटन सी दिल मे रहती है।
बेवजह मै रोया करता हूं,
काश उसे मै कह भी सकूं,
कि मै तुमको चाहा करता हूं।


ये मेरी पहली कविता है,कृपया प्यार दें।